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1. Vo Mentally Unstable Hai !!!

दिल्ली , रात का वक़्त...

तमन्ना आईने के सामने बैठी हुई , होंठों पर मुस्कुराहट लिए खुद को देख रही थी , और स्वाति जी (तमन्ना की माँ) उसे तैयार कर रही थीं ।

उसने मुड़कर अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा , "मम्मी , आज कोई शादी है क्या जो आप मुझे इतना सजा कर ले जा रही हो ?"

उसके सवाल पर स्वाति जी वैसे ही उसे तैयार करते हुए बोलीं , "हाँ , शादी है... तुम्हारी ! चुपचाप शादी कर लो और शादी के बाद अपनी मनहूसियत लेकर इस घर में वापस मत आना ।"

ये सुनते ही उसकी आँखों से आँसू बह गए , मगर अपनी बात कहते हुए स्वाति जी के चेहरे पर कोई खुशी या दर्द नहीं था ।

तमन्ना सवाल करते हुए बोली , "किससे होने वाली है मेरी शादी ?"

स्वाति जी ने जवाब देते हुए कहा , "अव्यय दीवान से ।"

उनकी बात सुनकर वो हैरानी से बोली , "लेकिन मम्मी , नहीं ! आप ऐसा नहीं कर सकतीं !"

वो अभी बोल ही रही थी कि स्वाति जी ने लापरवाही से कहा , "भूलो मत , माँ हूँ तुम्हारी... कुछ भी कर सकती हूँ ।"

उनकी बात पूरी होते ही तमन्ना चिल्लाते हुए बोली , "लेकिन वो मेंटली अनस्टेबल है !" कहते हुए उसकी आँखों से आँसू बह गए और वो वहाँ से उठते हुए जाने लगी ।

तभी स्वाति जी ने उसका हाथ पकड़कर उसी वक्त उसके गाल पर करारा थप्पड़ मार दिया , और वो वहीं नीचे गिर गई ।

इसी के साथ अचानक से वो उठकर बैठ गई । एक नज़र अपने बेड को देखते हुए उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई , मगर इस मुस्कुराहट में दर्द के सिवा और कुछ न था ।

वो कमरा अव्यय का था । पूरा कमरा वैसे ही सजा हुआ था , जैसा कि सुहागरात पर सजाया जाता है । गुलाब की पंखुड़ियों की खुशबू अभी भी पूरे कमरे में घुल रही थी , साथ ही वो मोमबत्तियाँ , जो पूरी रात जलते हुए बुझ गई थीं ।

तमन्ना पूरी रात उसी बेड पर बैठी हुई थी और बैठे-बैठे ही उसे नींद आ गई थी , मगर अभी तक उसने अव्यय को नहीं देखा था । उसने अभी भी अपना शादी का जोड़ा पहन रखा था ।

वो बेड से खड़ी होकर आईने के सामने जाकर बैठ गई और अपने गहने निकालने लगी । एक-एक करके सारे गहनों को निकालने के बाद उसने पहना हुआ अपना दुपट्टा भी निकाल दिया , कि उसी वक्त उसके कमरे का दरवाज़ा खुला ।

वो तुरंत पीछे मुड़ी । उसकी नज़र उसकी आँखों के सामने खड़े अव्यय पर जम चुकी थी । साथ ही वो गहरी लाल आँखें , जो सूज चुकी थीं । उसने बिज़नेस सूट पहना हुआ था ।

साफ-साफ उसके चेहरे पर दिखने वाली वो थकान उसके पूरी रात कमरे में न होने का हाल बयां कर रही थी । वो बिना पलकें झपकाए एकटक तमन्ना की तरफ देख रहा था ।

तमन्ना के मन में बहुत सारे सवाल थे , मगर वो अव्यय से कैसे पूछे ? उसे नहीं समझ आ रहा था । क्योंकि जहाँ तक उसे पता था , अव्यय दीवान तो मेंटली अनस्टेबल था । तो फिर वो अपने सामने खड़े इस शख्स को क्यों देख रही थी , जो कि बिल्कुल ठीक नज़र आ रहा था ?

वो हैरान भी थी , मगर उसने अपने एक्सप्रेशंस को छुपा लिया । उसी वक्त अव्यय उसकी तरफ बढ़ता हुआ कुछ कहने ही वाला था कि तमन्ना तुरंत मुड़ गई ।

मुड़ते ही उसकी नज़र खुद पर पड़ी । सामने आईना था और उसमें वो खुद को साफ देख पा रही थी ।

खुद को देखते हुए उसने अपने हाथों में पकड़ा हुआ वो दुपट्टा जल्दी-जल्दी में खुद के ऊपर लपेटने की कोशिश की , मगर घबराहट की वजह से वो उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया ।

वो नीचे झुककर दुपट्टा उठाने की कोशिश कर रही थी , मगर हैवी लहंगे की वजह से पूरी तरह झुक नहीं पा रही थी । तभी अव्यय ने वो दुपट्टा उठाते हुए तमन्ना के पूरे शरीर पर लपेट दिया ।

वो डर की वजह से कांप रही थी या फिर घबराहट की वजह से , ये समझना मुश्किल था । उसकी नज़रें नीचे झुकी हुई थीं , और होंठ कंपकंपा रहे थे । अव्यय , जो कब से उसे नोटिस कर रहा था , अचानक से पीछे से तमन्ना को गले लगा लिया ।

अब उन दोनों के बीच एक इंच का भी फासला नहीं था । उनके शरीर आपस में सट चुके थे । अव्यय ने तमन्ना की कमर के इर्द-गिर्द अपने दोनों हाथ बांध लिए थे , और उसका चेहरा उसके कंधे पर था ।

वो धीरे से उसके कान में फुसफुसाया , "मैं पति हूँ तुम्हारा... अव्यय दीवान ।"

उसकी बात सुन , तमन्ना वैसे ही अपना चेहरा और नज़रें झुकाए हुए बोली , "पता है ।"

तो अव्यय सवाल करते हुए बोला , "कैसे ?"

तमन्ना ने उसे जवाब देते हुए कहा , "इंडिया के नंबर वन बिज़नेसमैन के बेटे हैं आप... आखिर कौन नहीं जानता आपको ?"

उसके ऐसे जवाब देने पर अव्यय के चेहरे पर हल्की सी तिरछी मुस्कुराहट आ गई । वो अपनी इस मुस्कुराहट को छुपाते हुए बोला , "और क्या-क्या पता है मेरे बारे में ?"

तमन्ना ने सिर्फ दो शब्द कहे , "कुछ नहीं ।"

तो अव्यय उसी सवालिया लहजे में बोला , "ये भी नहीं कि मैं मेंटली अनस्टेबल हूँ ? ये बात तो पूरी दुनिया को पता है ।"

इस बार खुद उसके मुँह से ये सुनकर तमन्ना की नज़रें अपने आप ऊपर उठ गईं ।

अव्यय उसके खुले बालों को स्मेल करता हुआ बोला , "कुछ ही हफ्तों पहले ठीक हुआ हूँ... मगर तुम एक ऐसे इंसान से शादी करने के लिए कैसे राज़ी हो गईं , जो मेंटली अनस्टेबल था ?"

उसकी ये बात सुनते ही तमन्ना की आँखों के सामने फिर एक बार कल रात वाला लम्हा घूम गया । उसकी पलकें झुक गईं , क्योंकि उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे , जो गाल से सरक कर गर्दन पर गिर रहे थे ।

उसकी आँखों में आए आँसू देखकर अव्यय ने उसे अपनी तरफ घुमाया और दूसरे हाथ से उसके आँसू पोंछते हुए कहा , "मैंने तुमसे ये शादी तुम्हारी आँखों में आँसू देखने के लिए नहीं की है , भालू गर्ल ।" कहते हुए वो वहाँ से चला गया ।

तमन्ना उसे जाते हुए देख रही थी । अब उसके दिल पर जो एक बहुत बड़ा बोझ था , वो हल्का हो चुका था । उसका पति मेंटली अनस्टेबल नहीं है , वो बिल्कुल ठीक है ।

लेकिन एक झटके में उसकी ज़िंदगी आखिर कहाँ से कहाँ पहुँच गई थी ?

वो इन्हीं ख्यालों में गुम , खुद को आईने में देखते हुए धीरे से बोली , "अगर ये पहले ही ठीक हो चुके थे , तो मुझसे शादी क्यों की ? अपने स्टैंडर्ड की किसी लड़की से शादी करते ना... जो खूबसूरत और क्लासी होती ।"

कहते हुए वो कुछ देर रुककर ऊपर से नीचे तक खुद को देखने लगी और फिर धीरे से बोली , "ना मैं ज्यादा पतली हूँ , ना ज्यादा मोटी , और ना ही मेरा चेहरा अजीब है... तो फिर उन्होंने मुझे भालू क्यों कहा ? क्या मैं सच में भालू जैसी दिखती हूँ ?"

बोलते हुए उसे एहसास हुआ कि वो आखिर किस बारे में सोच रही है । इस बात का अहसास होते ही उसने अपने ख्यालों को झटका और सीधे बाथरूम की तरफ चली गई ।

इधर , अव्यय स्टडी रूम में बैठा हुआ था । उसके हाथों में एक लड़की की खूबसूरत सी तस्वीर थी , जिसमें उसने भालू का कॉस्ट्यूम पहना हुआ था और वो बहुत ही ज्यादा क्यूट नजर आ रही थी ।

वो उस तस्वीर को देखता हुआ , उस पर हाथ फेरते हुए बोला , "फाइनली... इतने सालों बाद तुम मुझे मिल ही गईं , मेरी भालू गर्ल ।" कहते हुए उसके चेहरे पर सुकून था । वो उस तस्वीर को अपने सीने से लगाए वैसे ही बैठा रहा ।

इधर , तमन्ना तैयार होकर नीचे आ चुकी थी । उसने हल्की ब्राउन कलर की सिंपल सी साड़ी पहनी हुई थी , और चेहरे पर हल्का सा मेकअप किया हुआ था ।

वो काफी खूबसूरत लग रही थी । उसकी नजर नीचे आते ही सीधे हॉल में सोफे पर बैठे हुए वेद और आदर्श पर पड़ी । वेद (अव्यय का दोस्त + पर्सनल असिस्टेंट) अपना लैपटॉप लिए काम कर रहा था , और आदर्श (अव्यय का छोटा भाई) अपने आईपैड पर शायद गेम खेलने में बिजी था ।

तमन्ना वेद को पहले से जानती थी , क्योंकि वही उसे मेंशन (mansion) लेकर आया था । अव्यय और तमन्ना की शादी सात फेरों की नहीं थी ।

अव्यय ने शादी के पेपर्स साइन करके वेद के हाथों तमन्ना के घर भिजवा दिए थे , और तमन्ना उन पेपर्स पर साइन करने के बाद वेद के साथ ही मेंशन आ गई थी । मगर उन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई थी ।

वो इन्हीं ख्यालों में थी कि तभी उसके कानों में आदर्श की आवाज पड़ी , "भाभी !"

इस आवाज को सुनते ही वो जैसे अपने ख्यालों से बाहर आ गई । उसी वक्त स्टडी रूम से बाहर निकलता हुआ अव्यय , जो कि अपने रूम की तरफ जा रहा था , वहीं रुक गया । क्योंकि उसने भी आदर्श की आवाज सुन ली थी ।

वही तमन्ना अभी भी अपनी जगह पर खड़ी थी और आदर्श को देख रही थी । अव्यय आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ते हुए सीढ़ियों से नीचे ले आया और आदर्श के पास ले जाने ही वाला था कि इससे पहले ही आदर्श बोल पड़ा,

"बहुत जोर की भूख लगी है भाभी ! कुछ खाना बनाना दो... आपकी पहली रसोई के चक्कर में आपके दोनों प्यारे देवर सुबह से भूखे बैठे हैं !" उसकी बात सुनकर तमन्ना ने धीरे से अपनी गर्दन हिला दी , तो आदर्श के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई ।

इस वक्त वेद , आदर्श के सिर पर मारते हुए बोला , "जेठ हूं मैं ! उसका देवर नहीं !"

वही अव्यय , जो ये सब देख रहा था , सख्त लहजे में बोला , "अव्यय दीवान की बीवी से खाना बनवाना चाहते हो तुम दोनों ?"

जैसे ही आदर्श और वेद के कानों में ये बात पड़ी , उनकी मुस्कुराहट पल भर में गायब हो गई । तभी अव्यय का फोन बजने लगा , तो वो फोन पर बात करते हुए दूसरी तरफ चला गया ।

उसे जाता हुआ देख , तमन्ना ने गहरी सांस ली । तभी आदर्श उसकी तरफ देखते हुए बोला , "भाभी , आपके पति यानी कि मेरे बड़े भाई बहुत खड़ूस हैं !"

उसकी बात सुन , तमन्ना हैरानी से उसकी तरफ़ देखने लगी क्योंकि कमरे में उसने अव्यय को एक अलग ही रूप में देखा था । वो उसे ये पहली मुलाक़ात में बिल्कुल भी ख़डूस नहीं लग रहा था , और यहाँ उसका भाई उसे ख़डूस बोल रहा था ।

वो कुछ कहती ही , कि तभी वेद उसकी तरफ़ देखता हुआ बोला , "मैं तुम्हारे पति का दोस्त और वफ़ादार नौकर हूँ , उर्फ़ पर्सनल असिस्टेंट , जो 24 घंटे उसके लिए काम करता है । नाम है वेद माथुर ।"

वेद के अपने ऐसे अजीब तरह से इंट्रोडक्शन देने पर तमन्ना को हँसी आ रही थी , मगर उसने जैसे-तैसे अपनी हँसी को कंट्रोल किया । तभी आदर्श भी बोल पड़ा , "मैं तो भूल ही गया अपना इंट्रोडक्शन देना ! हाँ तो , मैं हूँ आपके पति का छोटा भाई , जिसे खाना खाना बहुत पसंद है । नाम है आदर्श दीवान ।"

इस बार वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाई और खिलखिलाकर हँसने लगी । वो एक पल के लिए भूल चुकी थी कि उसकी शादी किस तरह से हुई थी , मगर अब उसके दिल में इस बात से कोई भी शिकायत नहीं थी । और अगर शायद थी भी , तो वो अब ख़त्म हो चुकी थी ।

ये बहुत सालों बाद हुआ था कि वो ऐसे हँस रही थी । उसे भी याद नहीं था कि वो कब इस तरह खुलकर हँसी थी । उसे यूँ हँसते देखकर आदर्श और वेद के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई ।

वो हँसते हुए बेहद प्यारी लग रही थी , और हँसते हुए जो उसके लिप्स के दोनों कोनों के पास हल्के-हल्के से डिंपल पड़ रहे थे , वही किसी की नज़रें थी , जो उसी पर टिकी हुई थी । वो और कोई नहीं , अव्यय ही था ।

जब वो अपनी बात पूरी करने के बाद वापस हॉल की तरफ़ आया , तो उसने तमन्ना को हँसते देखा और उसकी नज़रें उसी पल उस पर जम सी गईं ।

आदर्श वैसे ही मुस्कुराते हुए बोला , "भाभी , आप हँसते हुए बहुत प्यारी लगती हैं... बेबी भालू की तरह !"

उसकी बात सुनते ही तमन्ना के चेहरे की हँसी एकदम से ग़ायब हो गई । तभी अव्यय वहाँ आते हुए अपनी कोल्ड वॉइस में बोला , "आज तुम दोनों ने जिम स्किप किया था ना ? गार्डन के 50 चक्कर लगाओ , अभी के अभी !"

उसकी बात सुन वेद और आदर्श के मुँह से एक साथ निकला , "व्हाट ?"

तो अव्यय ने ठंडे स्वर में कहा , "पनिशमेंट है ये तुम दोनों की ! अगर अभी नहीं गए , तो.." कहते हुए वो कुछ और बोलने ही वाला था कि वेद और आदर्श तुरंत वहाँ से भाग खड़े हुए ।

इधर , अब हॉल में सिर्फ़ अव्यय और तमन्ना ही खड़े थे । तमन्ना वहाँ से जाने को हुई , कि तभी अव्यय उसे अपनी गोद में उठाते हुए बोला , "भालू गर्ल , तुम हमारी सुहागरात भूल रही हो !" कहते हुए वो उसे सीढ़ियों से ऊपर की तरफ़ ले जाने लगा , वहीं ये सुनते ही तमन्ना के चेहरे का रंग उड़ चुका था ।

जारी है !!!

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